• Home
  • About
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Terms and Condition
  • Disclaimer
© Life Adhyay. Blogger द्वारा संचालित.

जय श्री राम

रा = राधा + माँ = माधव

|| जय श्री राधा ||

 प्रेम :-



प्रेम में दुसरे का सुख देखा जाता है. में जिसे चाहता हु वह सुखी रहे. प्रेम निस्वार्थ होता है. प्रेम किसीसे भी किया जा सकता है, लेकिन सबसे ज्यादा जरुरी अगर हमारे लिए कोई है तो वे हे हमारे माता पिता, जो अपने माता पिता से प्यार न कर सके वो किसीसे भी प्यार नहीं कर सकता. इसका सबसे अच्छा उदाहरण श्री राम जी का है जिन्होंने अपने पिता की आग्या पर १४ वर्षो का वनवास ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार कर लिया. वे चाहे तो राज्य उन्हें मिल सकता था लेकिन वे अपने माता पिता से प्रेम करते थे. प्रभु तो प्रेम के अधीन है, दूसरी बात माता कैकई भी महान है जिसने राम को एक महान कार्य हेतु वनवास प्रदान किया इससे उन्हें काफी भला बुरा सुनने को भी मिला. वैसे भगवान् का जन्म ही दुष्टो का विनाश करने हेतु हुआ था अगर उन्हें सीधे सीधे राज्य मिल जाता तो ... जो भक्त जन है जो भगवान् की पूजा अर्चना करते है उन्हें राक्षसों का भय लगा रहता था राक्षस उन्हें कच्चा खा जाते थे, परीशान करते थे ... गुरु से तो ऐसा भी सुनने को आया है की भक्तजनों की हड्डीयों का ढेर लग गया था इतना राक्षसों का आतंक बढ़ गया था. इन राक्षसों का विनाश और भक्तों पर कृपा करने हेतु भगवान् श्री राम का जन्म हुआ था. कैकई माता ( को यह आदेश की राम को वनवास दिया जाय ) को इसलिए चुना गया की वे बढ़ी साहसी नारीशक्ति थी इकबार जब देवता राक्षसों से बड़े परेशान थे तब राजा दशरथ जो की बड़े शूरवीर योद्धा थे उन्हें देवताओने अपने साथ राक्षसों पर विजय पाने के लिए साथं में बुलाया था .... जब दोनों पक्षों का युद्ध हुआ तब राजा दशरथ का रथ का पहिया रथ से अलग होने वाला था तब माता कैकई जो उनके साथ गयी थी उन्होंने अपनी ऊँगली को पहिये से रथ को जोड़े रखा ताकि राजा दशरथ युद्ध करते रहे उन्हें कोई परिशानी न हो. वे युद्ध पर विजय पाए और उन्हें विजय यानि जित मिली भी. और सच्चा प्रेम का स्वरुप भी यही है की खुदकी परवा न करके अपने पति के लिये दुःख को भी ख़ुशी के साथ सह ले. हमें यह विचार आ सकता है की यह प्रेम कहा गया था जब श्रीराम को उन्होंने वनवास भेजके अपने पति को सबसे बड़ा दुःख दिया. इसमें देश का प्रेम पति के प्रेम से बड़ा होता है जैसे की एक सैनिक भी जब बॉर्डर पर जाता है तो उसके लिए अपने परिवार से ज्यादा देश की महत्वता रहती है. देश यानि अपनी मातृभूमि जिसने हमें जन्म दिया इस मातृभूमि के लिए हर एक कैकई माता अपने बेटे को देश की रक्षा के लिए बॉर्डर पर भेजती है ऐसी माता और बेटे पर हमें गर्व होना चाहिए. यह लिखते हुए में अपने आंसू नहीं रोक पा रहा हु क्योकि में भी तो इस भारत भूमि का ही पुत्र हु. जय श्री भारत, जय श्री राम, माता के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम. सीताराम का प्रेम भी बड़ा अद्भुत है....अपनी पत्नी प्रेयसी के लिए कोई सेना, कोई राज्य शासन न होने पर भी जो है उसे ही अपना साथी (श्री हनुमान जी और उनके साथी मित्रों) बनाकर शिवके बड़े भक्त रावन को परास्त किया. श्रीराम और रावन दोनो ही श्री शिवजी के बड़े भक्त थे, श्रीराम से ज्यादा शक्ति, माया, सम्पति में रावन बड़े थे लेकिन चरित्र श्रीरामजी का बड़ा था जिसका चरित्र साफ सुधरा होता है उसे परास्त करने वाला इस धरा पर पैदा होने से पहले मर जाता है. हमने एक पिक्चर देखि होगी सोल्जर जिसका किरदार अल्लू अर्जुन ने बड़े अच्छेसे निभाया है उसमे भी दिखाया है की करैक्टर से बड़ा कोई नहीं ( झुकेका नही साला). झुकेगा तो सिर्फ अपने भगवान् के लिए जो माता पिता और गुरु बने है. एक प्रेम की कहानी मेरे माता पिता की भी है उनका भी प्रेमविवाह हुआ है. मैंने उनके बिच प्यार,लड़ाई, झगडा देखा है लेकिन उन्होंने एक दुसरे का साथ कभी नहीं छोड़ा इससे बड़ा मेरे घर में प्रेम का उदाहरण नहीं है. इसलिए मैंने भी उनके सुझाये हुए लड़की के साथ विवाह किया क्योकि मुझे पता है अगर वे अपने लिए बेस्ट चुन सकते है तो में भी उन्हीका बच्चा हु तो मेरे लिए भी वो बेस्ट ही चुनेगे और उन्होंने चुना भी जिसके साथ में भी खुश हु. मेरी पत्नी भी मेरा बड़े अच्छेसे से ध्यान रखती है. में भी उसे चाहता हु. जय श्री राधा . प्रेम का सबसे बड़ा और प्यारा जोड़ा तो सिर्फ राधाकृष्ण का ही है. क्योकि वे ही हमारे माता,पिता,गुरु,दोस्त,सबकुछ वही बने है ..........................जय श्री राधा.



सेक्स्

बलं बलवतां चाहं कामरागविवर्जितम् । धर्माविरुद्धो भूतेषु कामोऽस्मि भरतर्षभ ।। ११ ।।
 यह गीता का सातवे अध्याय का ११ व श्लोक है जिसमे भगवान् कृष्ण बताते है की 
"में बलवानों का कामनाओं तथा इच्छा से रहित बल हैं। हे भरतश्रेष्ठ (अर्जुन)! मैं वह काम (सेक्स) हूँ , जो धर्म के विरुद्ध नहीं है।"
तात्पर्य : बलवान पुरुष की शक्ति का उपयोग दुर्बलों की रक्षा के लिए होना चाहिए, व्यक्तिगत आक्रमण के लिए नहीं। इसी प्रकार धर्म-सम्मत ( शादी के बाद दोंनो की इच्छा से ) मैथुन (सेक्स) सन्तानोत्पति के लिए होना चाहिए, अन्य कार्यों के लिए नहीं। अतः माता-पिता का उत्तरदायित्व है कि वे अपनी सन्तान को कृष्णभावनाभावित बनाएँ।
यह तात्पर्य "श्री श्रीमद ए.सी.भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद जी का है"

|| जय श्री राधा || 



Share
Tweet
Pin
Share
No टिप्पणियाँ

 हम सब से पहले रामायण के बारे में समझते है.

रा = राम 

माँ = माँ सीता 

य  = जय + विजय   

न = नारायण 

नारायण यानि विष्णु भगवान् के जो पार्षद थे जय विजय, उन्हें भगवान् की कृपा से भेजा गया था, क्योकि रामजी ही  नारायण है. दुनिया जो नारायण चला रहे है उन्हें अपने बच्चो यानि हमें ही शिक्षा देने हेतु इस धरा पर अवतार लेना था. इसलिए भगवान् के पार्षद को ही विल्लेन का रोल मिला और नारायण ने राम का रोल निभाया और जो सीता जी है, सबसे बड़ा किरदार इन्हिका है क्योकि वे स्वयं शिवजी है जानते है किस तरह....

S - शिव 

I - इश्वर 

T - त्रिनेत्रधारी  

A - अम्बा के पति  ( अम्बा ही कृष्ण है - जल्द ही जानेंगे )

राम और रावण दोंनो ही श्री शिवजी के भक्त थे लेकिन श्रीराम जी को मर्यादापुरुषोत्तम कहा गया है, श्री सीताजी जो श्रीराम की अर्धांगिनी है उन्हें किडनेप करने का जो प्लान है वह रावण का नहीं नारायण का ही है, क्योकि अपनी माँ को भी कोई किडनेप करता है भला, उन्हें तो बस एक रोल मिला है जिसको रावन ने बड़े अच्छी तरह निभाया. इस रामायण के डायरेक्टर, प्रोडूसर, एक्टर स्वयं नारायण ही है क्योकि नारायण के अलावा कुछ है ही नहीं. वही इस सृष्टि का ब्रम्हा रूप से निर्माण करते है, नारायण रूप से पालन करते है और शिव रूप से अंत करते है. 

हम आम इन्सान जिस तरह नारीशक्ति को गलत नजरिये से देखते है तब राम को तो आना ही पड़ेगा अपनी शक्ति को बचाने के लिए. सबसे सिंपल एक बात कहना चाहता हु की भगवान् न ही पुरुष होते है न ही श्री वह प्रेम रूप से हर जिव के ह्रदय में वास करते है. सीताराम,राधेश्याम,शिवशक्ति,लक्ष्मीनारायण  कोई अलग भगवान् नहीं है. वे सब एक परम आत्मा है जो सबके दिल में परमात्मा के रूप में बसते है. सीता,राधा,शिव,लक्ष्मी एक ही है और राम,श्याम,शक्ति,नारायण एक ही है, यह सब ज्ञान की बाते मुझे अपने गुरु से ही प्राप्त हुई है बाकि में कुछ नहीं हु सब गुरुदेव का है. गुरुदेव ही श्री राधारानी है.  

शिव ही राधा है क्योकि दोंनो ही एक है जो परम कृपालु है. जो इनका हो जाता है उसे भगवान् अपने आप को सौप देते है. भगवान् ही राम है इसलिए सीता बनकर शिवजी की सेवा करते है, शिव ही राधा है जिनकी सेवा में स्वयं कन्हैया तत्पर रहते है. यानि यह अपने आपको कभी बड़ा नहीं मानते, हमेशा एक दुसरे की सेवा करते है. हमेशा पति पत्नी बनकर एक दुसरे का साथ निभाते है. दोस्त बनकर दोस्ती निभाते है, पिता बनकर बेटे का ध्यान रखते है. गुरु बनकर अपने शिष्य को ज्ञान देते है. माँ बनकर दुलार करते है.

इस दुनिया में भगवान् के अलावा कोई है ही नहीं जो भगवान् को भूल जाये उसे माया नचाती है. जिसे भगवान् ने स्वीकार कर लिया उसके लिए स्वयं भगवान् नाचते है जिस तरह गोपियो के लिये नाच रहे है. इसके लिए हमें सिर्फ भगवान् को भगवान् न मानकर बस अपना प्रियतम मानना चाहिए. जिस तरह एक श्री अपने पति को अपना सबकुछ सौप देती है उसी तरह अगर यह मनुष्य अपना सबकुछ भगवान् को सौप दे तो भगवान् उसे अपने मन के मंदिर में दीखते ही है. मंदिर ही एक ऐसी जगह है जहा मन में ही भगवान् का दीदार यानि भगवान् दिख सकते है.

|| जय श्री राधा || 


 

Share
Tweet
Pin
Share
No टिप्पणियाँ

|| श्रीराधा || 


श्री राधा ही है जिन्होंने श्रीकृष्ण को बांसुरी सिखाई, जिस तरह एक सेवक अपने स्वामी से तनख्वा लेता है और बदलेमे स्वामी का काम करता है उसी तरह श्री राधा श्रीकृष्ण की स्वामिनी है, वे उन्हें प्रेम करती है बदलेमे श्रीकृष्ण श्रीराधा श्रीराधा श्रीराधा श्रीराधा सिर्फ श्रीराधा बांसुरी से गाते है. क्योकि श्रीकृष्ण को बांसुरी प्रदान करने वाली श्रीराधा ही तो है, क्योकि जब कोई सेवक स्वामी के पास उनका काम करने जाता है तो स्वामी अपने सेवक को सारी चीजे प्रदान करता सिखाता है जिससे उसका सेवक अच्छेसे काम कर पाए. यह शायद ही किसी ग्रन्थ में लिखा होगा लेकिन मेरे भगवान् श्रीगुरुदेव श्रीराधा रानी की कृपा से आज इस विषय पर लिखने का मन किया. हम मनुष्य अपने आप को माने है तभी हमसे गलतिया होती है लेकिन जब हम अपने जीवन का कण्ट्रोल श्रीराधा के श्री चरणों में अर्पित कर देते है तो सब ज्ञान बिना किसीके सिखाये मन में आ जाता है क्योकि सबको सिखाने वाली श्री राधा मन में ही तो बसी है.

म = महारानी श्रीराधा 

न = नन्द के लाडले को प्यार करने वाली.

म = माधुर्य की चरम सीमा 

न = वृन्दावन की रानी श्री राधा 

कितना भी श्रीराधा की धारा में डूबने की कोशिश की जाय लेकिन श्रीराधा डूबना नहीं तैरना सिखाती है. मारना नहीं अपने प्यारे पर मरना सिखाती है. जो श्रीराधा को जान ले ऐसा मनुष्य हो ही नहीं सकता. हम तो श्रीकृष्ण के सखा है. श्रीकृष्ण ही राधा है, राधा ही मन है, मन श्रीकृष्ण के बिना अधुरा है इसलिए मन से एक बार राधाकृष्ण कहके देखो क्या पता उनका दर्शन मन में ही हो जाये. मंदिर इसलिए मंदिर नहीं होता क्योकि उसमे भगवान् की मूर्ति है,

मन = मन में 

दिर = दीदार हो जाये ( दिख जाये)

सबसे बड़ा मंदिर तो हमारा मन ही है जिसमे भगवान् मूर्ति नहीं स्वयं परमात्मा के रूप में बैठे है. यह सब गुरुदेव श्रीराधा की कृपा से ही आत्मज्ञान मिल सकता है. बाकि कितनी ही किताबे पढलो अपूर्ण ही बने रहोगे. पढना ही है तो अपने मन को पढो वह सिर्फ श्रीराधा श्रीराधा श्रीराधा श्रीराधा गाना ही सिखाएगा, जो श्रीराधा के भरोसे हो जाये वही श्रीकृष्ण है बाकि श्रीकृष्ण भी वृन्दावनेश्वरी से अलग होने पर द्वारकाधिष कहलाये. वैसे तो श्रीराधा ही श्रीकृष्ण है, शरीर भले दो दिखाई दे लेकिन आत्मा एक ही है. श्रीकृष्ण का मन यानि स्वयं श्रीकृष्ण प्रेम रूप से श्रीराधा बनकर वृन्दावन में है. उनके अलावा हमारा है ही कौन, सब जिव माया में फसे है और सोचते है की भगवान को भी हम अपने जैसा बनाये. लेकिन श्रीकृष्ण श्री गीता जी में कहते है की..........( जय श्री राधा endless )

|| जय श्री राधा ||

दोस्तों इस माया से मुक्त सिर्फ श्री राधा कर सकती है 
क्योकि वही मायापति भगवान् का प्रेम है 
जो भगवान् को प्रेम करे वही श्रीराधा श्रीराधा कहे


|| जय श्री राधा ||




  


Share
Tweet
Pin
Share
No टिप्पणियाँ

 नारी क्या है - जय श्री राधा 


नारी ही भगवान् की शक्ति है और स्वयं भगवान् भी, जो एक पुरुष को पुरुषोत्तम बनाती है. नारी नारायण की माता है जिसे जगत्जननी अम्बा कहते है. अम्बा यानि शिव को शिव बनाने वाली जिसके बगैर शिव भी अधूरे से है. नारी के बारे में समझना इतना आसान नहीं है क्योकि हर जगह वही है पूरी दुनिया ही नारी है जिसे समझने के लिए हमारे पास पर्याप्त बुद्धि नहीं है, बस हम उसे भोग भाव से देखकर अपना विनाश् कर रहे है. जिसने नारी को शक्ति माना है वह पुरुष पुरुष नहीं बल्कि पुरुषोत्तम भगवान् शिव ही है. 

नारी की सेवा होनी चाहिए, पूजा होनी चाहिए 

दोस्तों, इस कलयुग के घोर अन्धकार को सिर्फ एक नारी ही दूर कर सकती है. इसलिए उसकी सारी पूरी की जा सके ऐसी मनोकामनाए उसके पति को पूरी करनी चाहिए जब ऐसा हो तब वह पति नहीं रहता, पति परमेश्वर बन जाता है. नारी के बारे में क्या कहू ....इस दुनिया में अगर सबसे सुन्दर कुछ हो तो वह है श्री राधा जो नारीशक्ति की पहचान है जो कृष्ण को भगवान् बनाने वाली है. भगवान् कृष्ण के पास बस एक ही शक्ति है और वह है श्री राधा श्री राधा श्री राधा श्री राधा.......endless.
जब भगवान् श्रीराधा कहते है तब इस दुनिया को प्रकट कर पाते है. सारी शक्तिओ की स्वामिनी श्रीराधा ही है. बस वह अपने आप को दुनिया के सामने नहीं लाती क्योकि उसे समझने वाले तो सिर्फ श्रीकृष्ण ही है. क्योंकि जो पत्नी होती है वह पति से प्रेम करती है लेकिन श्रीराधा ने पतिपरमेश्वर से प्रेम किया, इसके लिए राधाकृष्ण कहा जाता है. श्रीराधा न ही श्री है न ही पुरुष वह एक महान प्रेम का गहरा समुद्र है जिसका न अंत है न जिसकी शुरुआत नजर आती है. श्रीराधा प्रेम की चरण सीमा है. जिसने श्रीराधा के चरणों में अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया वही भगवान् कृष्ण है बाकि तो सब श्री पुरुष अपने आप को माने है. जब हम एक पुरुष होते है तब भगवान् श्री बनकर हमारी सेवा करते है अपना शरीर मन तन धन सबकुछ अपने पति परमेश्वर को समर्पित कर देती है. जब नारी माता बनती है तब वह अपने खून को दूध बनाकर अपने प्यारे लल्ला को दूध पिलाती है.उसे कष्ट भी होता है फिर भी वह अपने कष्टों को भुलाकर अपने प्यारे बच्चे का दुलार करती है सचमे श्री महान आत्मा परमात्मा ही है. हम पुरुष अपने चमड़े की चप्पल बनाकर श्री का ऋण उतारने की कोशिश करे तो भी अनंत जन्मो तक हम नहीं उतार सकते. श्री सिर्फ इज्जत के साथ प्यार चाहती है. उसे किसी चप्पल की जरुरत नहीं उसे बस प्यार से दुलार से दिल से लगा लो उसीमे वह खुश हो जाएगी अगर वह आपकी पत्नी बनी है तो. आपकी बेटी है तो उसके पैर छूने चाहिये न की उसे ज्यादा रोक टोक करनी चाहिए, एक पिता का काम है की वह अपनी बेटी को सही शिक्षा दे, उसे समझाए की बेटी तुम जो करना चाहती हो उसे करो लेकिन एक बात आपको ध्यान रखनी है की में आपका पिता हु मै आपसे बहोत प्यार करता हु अगर तुम्हे कोई लड़का पसंद आता है तो मुझे बताओ में उससे आपकी शादी करवाऊंगा. जब पिता ऐसी बात अपनी बेटी से करता है न तब वह बेटी कभी किसी लड़के के साथ भागके शादी नहीं करेगी. क्योकि उसे पता चल जायेगा की मेरे लिए मेरे पापा बेस्ट ही चुनेंगे अगर मुझे कोई लड़का पसंद आता है तो उसे सबसे पहले मेरे माता पिता को खुश करना होगा, अपने आप को साबित करना होगा की वह एक राजा है जो दुसरे राजा की राजकुमारी को एक राजमहल में रख पाए. राजमहल का मतलब कोई बड़ा महल नहीं बस जहा उसकी बेटी जाये, उसे जो चाहिए वह सब उसका पति परमेश्वर दे बस यही इक पिता की मनोकामनाए होती है. अगर मैंने और कुछ लिखा तो में रो रो के मर जाऊंगा क्योकि अभी मेरे आंसू नहीं रुक रहे क्योकि श्री के बारे में जाने ऐसा पुरुष पैदा नहीं हुआ. में अपना सौभाग्य मानता हु की मेरे जरिये भगवान् श्रीराधा ही यह पोस्ट लिख रही है. 

|| जय श्री राधा ||

Share
Tweet
Pin
Share
No टिप्पणियाँ

 यार किसीभी पोस्ट को लिखने से पहले काफी कुछ सोचना पड़ता है लेकिन इस पोस्ट को लिखने के लिए मुझे एक सेकंड के लिए भी नही सोचना पड़ा क्योंकि में खुद इस समस्या का सामना कर चुका हूं और शायद ही मेरे अलावा कोई इतनी महत्वपूर्ण जानकारी कोई आपको दे सकता है ।


 
पागलपन का सबसे बड़ा कारण है विचार ,एक ऐसी सोच जो मरने से पहले हमें मार देती है, ऐसी सोच को जन्म भी हम देते है और इसे खत्म करने का इलाज भी हमारे अंदर होता है।

मैंने खुद ऐसे विचारों को जन्म भी दिया है और उससे आज भी लड़ता हु। मेरे दिमाग मे सबसे पहले यह विचार तब आया था जब में किसी लड़की के लिए पागल था ,आप इसे वन साइड लव भी कह सकते है, ये कैसे हुआ जानते है।

* मेरी वन साइड लव स्टोरी

मेरा घर उस लड़की के एकदम सामने था ,में फर्स्ट फ्लोर पर था और वह लड़की सामने वाले मकान के ग्राउंड फ्लोर पर रहती थी । हमारी कभी कभी बातचीत होती रहती थी,मेरे परिवार वालो को भो वह अच्छी लड़की लगती थी और शायद इसी वजह से मुझे भी लगने लग गया था कि वह मेरे लिए अच्छी रहेगी,यह कुछ ऐसा हुआ था कि में उससे दिल से नही दिमाग से प्यार करने लग गया था। 

* पागलपन में क्या होता है

यही वह सोच थी जिसने मुझे एकदम पागल बना दिया था ,मेरा किसी मे भी मन नही लगता था वह जिस लड़की से में दिमाग से प्यार करता था वह मेरे से उम्र में एक साल बड़ी थी ,उस समय मेरी एलेवेंथ स्टैंडर्ड में साइंस की पढ़ाई चल रही थी ,समय काफी मुश्किलों से भरा था ।

पागलपन में कुछ ऐसा होता था कि मुझे कई रातो तक नींद नही आती थी में रात में उठकर कही चला जाता था और घूम कर फिर कर वापस घर मे आकर सोने की कोशिश करता था लेकिन सो नही पाता था।

ऐसा मेरे साथ क्यों होता था इसके जवाब में मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि मेरा दिमाग मुझमे था ही नही वह न मुझे एक जगह बैठने देता न कुछ अच्छा सोचने देता था।

*पागलपन का हद से ज्यादा बढ़ जाना

मैं उस लड़की के पीछे इतना पागल हो गया था कि एकदिन मैंने लगभग रात को 1.00 बजे उसके घर का दरवाजा खट खटाया कुछ देर दरवाजा खट खटाने के बाद अंदर से एक आवाज आई वह आवाज उसके पापा की थी।

उन्होंने अंदर से पूछा कौन है बाहर से,मेने जवाब दिया में हु सुमित आपके सामने रहने वाला लड़का ,उन्होंने दरवाजा खोला और पूछा इतनी रात को क्या काम है मैं कुछ बोला और वह शब्द थे मैं आपकी लड़की से शादी करना चाहता हु,उन्होंने कहा पागल हो गए हो क्या ,दरसल में सचमे पागल हो गया था।

उस लड़की के पिता ने कहा में तुम्हारे पिता से बात करना चाहता हु,और मुझ पागल को लगा कि सचमे मेरी उससे शादी हो जायेगी।

दूसरा दिन आया मैंने अपने घर वालो को रात की बात बताई और मेरे पापा उस लड़की के घर उसके पापा से मिलने चले गए ।

मेरे पापा की उस लड़की के पाप से बात हुई, इस बारे में मेरे पापा ने घर पर कुछ बराबर बताया नही,मेरे घर वाले मुझे लेकर बहोत परेशान थे,क्योकि मेरी हालत ही कुछ ऐसी थी। 

*पागलपन का इलाज

(जो बात आपके दिल मे ज्यादा समय से है उसे बोल दे और बिल्कुल न घबराये)


जब मैंने उसके घर पर शादी की बात की थी उसके बाद से मेरे दिल को और दिमाग को एकदम शांति मिल गई थी क्योंकि जो बात में उससे कहना चाहता था वो मैंने बोल दी थी, कुछ दिन बीते, मेरे पापा ने मेरे स्कूल जाकर 10 दिनों की छुट्टी ले ली थी,वे मुझे गांव लेकर गए ।

गांव में एक दो दिन रहने के बाद मुझे अच्छा लगने लग गया था,जो मेरी बाहर घूमने की बीमारी या कहो पागलपन वो ठीक हो गया था,कुछ ही दिनों में मैं पूरी तरह ठीक हो गया था।

ठीक होने के बाद में और मेरा परिवार अपने शहर आ गया, दिन बीतते गए जो लड़की मेरे सामने रहती थी,जिसके लिए में पागल था उसके पापा ने वहासे काफी दूर नया घर ले लिया ,और वह चली गई।

इस तरह यह रियल लाइफ कहानी यहा खत्म हुई। इस कहानी में, मैं जो बात अपने दिल मे छुपा कर बैठा की "मुझे उससे शादी करनी है"अगर में यह बात नही कर्ता तो शायद में यह लेख नही लिख रहा होता क्योंकि यह बात मुझे हर दिन हर इक सेकंड चैन से जीने नही देती थी । अंदर से एक आवाज आती तू यह बात बता नही तो मै कुछ भी कर दूंगा । देखिये दोस्तो जीवन मे ऐसी कोई बात जो किसीको बताना बहुत जरूरी है,और वह बात अगर हम उस व्यक्ति को नही बताते ,और अपने ही अंदर दबाये रखते है तो यह बहुत बड़ी समस्या है, तो हमेशा ध्यान रखिये कोई भी बात अपने अंदर न दबाये ,खुल कर जो भी बात आप किसीसे कहना चाहते है जरूर कहे ,भले सामने वाले व्यक्ति को आपकी बात अच्छी लगे या बुरी 
कुछ समय के लिए प्रॉब्लम हो सकती है,लेकिन कुछ समय बाद आप अपने लिए खुश होंगे कि यार अच्छा हुआ मैंने मेरे दिल की बात बता दी।

दोस्तो इस सच्ची कहानी से हमे बहोत बड़ी सिख मिलती है और वह है,किसीको देख कर या किसीके कहने पर अगर आपको कोई अच्छा लगता है तो वह गलत है,जब आपका दिल बोले यार यही सही है तो उसी पर यकीन करें।

दोस्तो अपने माता पिता का हमेशा ख्याल रखे,वो कैसे भी हो जरूरत के समय पर सिर्फ वही आपके लिए खड़े होंगे और आपकी जितनी मदत हो सके उतनी करेंगे।

मैं अपने माता पिता को धन्यवाद देना चाहता हु की उस समय मेरे माता पिता ने मेरा बहोत ध्यान रखा।
                                             धन्यवाद.
दर्शना जिसका मै हर दिन दर्शन करके पागल हो गया था - आज 30 मार्च २०२५ को माफ़ी मांग रहा हु. मैंने उसे रातको जगाकर परीशान किया और उसके परिवार की भी माफ़ी मांगता हु, क्योकि वे मेरी वजह से उन्हें दूसरी जगह रहने जाना पड़ा. 

|| जय श्री राधा ||




Share
Tweet
Pin
Share
No टिप्पणियाँ
Older Posts

Follow Me - Jai श्री Krishna

  • Insta - सफ़र
  • Face Book
  • W - Shayari

Subscribe

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

About me

About Me

|| जय श्री कृष्णा ||

Categories

  • आदते
  • कला
  • पैसा
  • सफलता

recent posts

Blog Archive

  • सितंबर 2025 (2)
  • अगस्त 2025 (1)
  • जुलाई 2025 (3)
  • जून 2025 (1)
  • मई 2025 (5)
  • अप्रैल 2025 (7)
  • मार्च 2025 (4)
  • नवंबर 2024 (1)
  • अक्टूबर 2024 (1)
  • अगस्त 2024 (1)
  • जुलाई 2024 (1)
  • जून 2024 (1)
  • मई 2024 (1)
  • जनवरी 2024 (3)
  • दिसंबर 2023 (2)
  • नवंबर 2023 (1)
  • अक्टूबर 2023 (1)
  • अगस्त 2023 (1)
  • मई 2023 (2)
  • मार्च 2023 (1)
  • सितंबर 2022 (2)
  • अगस्त 2022 (2)
  • दिसंबर 2021 (1)
  • अक्टूबर 2021 (2)
  • सितंबर 2021 (1)
  • अगस्त 2021 (2)
  • जुलाई 2021 (1)
  • जून 2021 (3)

Copyright © 2021-2025 Life Adhyay All Right Reseved जय श्री राधा ThemeXpose