नारी क्या है - जय श्री राधा
नारी ही भगवान् की शक्ति है और स्वयं भगवान् भी, जो एक पुरुष को पुरुषोत्तम बनाती है. नारी नारायण की माता है जिसे जगत्जननी अम्बा कहते है. अम्बा यानि शिव को शिव बनाने वाली जिसके बगैर शिव भी अधूरे से है. नारी के बारे में समझना इतना आसान नहीं है क्योकि हर जगह वही है पूरी दुनिया ही नारी है जिसे समझने के लिए हमारे पास पर्याप्त बुद्धि नहीं है, बस हम उसे भोग भाव से देखकर अपना विनाश् कर रहे है. जिसने नारी को शक्ति माना है वह पुरुष पुरुष नहीं बल्कि पुरुषोत्तम भगवान् शिव ही है.
नारी की सेवा होनी चाहिए, पूजा होनी चाहिए
दोस्तों, इस कलयुग के घोर अन्धकार को सिर्फ एक नारी ही दूर कर सकती है. इसलिए उसकी सारी पूरी की जा सके ऐसी मनोकामनाए उसके पति को पूरी करनी चाहिए जब ऐसा हो तब वह पति नहीं रहता, पति परमेश्वर बन जाता है. नारी के बारे में क्या कहू ....इस दुनिया में अगर सबसे सुन्दर कुछ हो तो वह है श्री राधा जो नारीशक्ति की पहचान है जो कृष्ण को भगवान् बनाने वाली है. भगवान् कृष्ण के पास बस एक ही शक्ति है और वह है श्री राधा श्री राधा श्री राधा श्री राधा.......endless.
जब भगवान् श्रीराधा कहते है तब इस दुनिया को प्रकट कर पाते है. सारी शक्तिओ की स्वामिनी श्रीराधा ही है. बस वह अपने आप को दुनिया के सामने नहीं लाती क्योकि उसे समझने वाले तो सिर्फ श्रीकृष्ण ही है. क्योंकि जो पत्नी होती है वह पति से प्रेम करती है लेकिन श्रीराधा ने पतिपरमेश्वर से प्रेम किया, इसके लिए राधाकृष्ण कहा जाता है. श्रीराधा न ही श्री है न ही पुरुष वह एक महान प्रेम का गहरा समुद्र है जिसका न अंत है न जिसकी शुरुआत नजर आती है. श्रीराधा प्रेम की चरण सीमा है. जिसने श्रीराधा के चरणों में अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया वही भगवान् कृष्ण है बाकि तो सब श्री पुरुष अपने आप को माने है. जब हम एक पुरुष होते है तब भगवान् श्री बनकर हमारी सेवा करते है अपना शरीर मन तन धन सबकुछ अपने पति परमेश्वर को समर्पित कर देती है. जब नारी माता बनती है तब वह अपने खून को दूध बनाकर अपने प्यारे लल्ला को दूध पिलाती है.उसे कष्ट भी होता है फिर भी वह अपने कष्टों को भुलाकर अपने प्यारे बच्चे का दुलार करती है सचमे श्री महान आत्मा परमात्मा ही है. हम पुरुष अपने चमड़े की चप्पल बनाकर श्री का ऋण उतारने की कोशिश करे तो भी अनंत जन्मो तक हम नहीं उतार सकते. श्री सिर्फ इज्जत के साथ प्यार चाहती है. उसे किसी चप्पल की जरुरत नहीं उसे बस प्यार से दुलार से दिल से लगा लो उसीमे वह खुश हो जाएगी अगर वह आपकी पत्नी बनी है तो. आपकी बेटी है तो उसके पैर छूने चाहिये न की उसे ज्यादा रोक टोक करनी चाहिए, एक पिता का काम है की वह अपनी बेटी को सही शिक्षा दे, उसे समझाए की बेटी तुम जो करना चाहती हो उसे करो लेकिन एक बात आपको ध्यान रखनी है की में आपका पिता हु मै आपसे बहोत प्यार करता हु अगर तुम्हे कोई लड़का पसंद आता है तो मुझे बताओ में उससे आपकी शादी करवाऊंगा. जब पिता ऐसी बात अपनी बेटी से करता है न तब वह बेटी कभी किसी लड़के के साथ भागके शादी नहीं करेगी. क्योकि उसे पता चल जायेगा की मेरे लिए मेरे पापा बेस्ट ही चुनेंगे अगर मुझे कोई लड़का पसंद आता है तो उसे सबसे पहले मेरे माता पिता को खुश करना होगा, अपने आप को साबित करना होगा की वह एक राजा है जो दुसरे राजा की राजकुमारी को एक राजमहल में रख पाए. राजमहल का मतलब कोई बड़ा महल नहीं बस जहा उसकी बेटी जाये, उसे जो चाहिए वह सब उसका पति परमेश्वर दे बस यही इक पिता की मनोकामनाए होती है. अगर मैंने और कुछ लिखा तो में रो रो के मर जाऊंगा क्योकि अभी मेरे आंसू नहीं रुक रहे क्योकि श्री के बारे में जाने ऐसा पुरुष पैदा नहीं हुआ. में अपना सौभाग्य मानता हु की मेरे जरिये भगवान् श्रीराधा ही यह पोस्ट लिख रही है.
|| जय श्री राधा ||
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