|| जय श्री राधा ||
परिवार उसे कहते है जिसमे प्रेम हो. पहले के समय में परिवार बड़े होते थे, उसमे माता पिता,दादा दादी,चाचा चाची, बच्चे होते थे. आज के समय में परिवार बिखर रहे है, क्यों ?, आज हम देख रहे है की शादी के बाद बच्चे अपने ही माता पिता के साथ रहना नहीं चाहते, क्यों? इसीके बारे में हम आज के ब्लॉग में जानने वाले है.
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| Image by 1tamara2 from Pixabay |
जैसे जैसे समय आगे बढ़ रहा है वैसे ही लोगों की सोच बदल रही रही, लोगों का काम करने का तरीका बदल रहा है. जो इन्सान पहले सारे काम खुद अपने हाथो से करता था या जानवरों की सहायता से करता था वही आज लगभग मेरे हिसाब से 90 % काम मशीन से हो रहा है.
परिवार की जो नीव है वह है एक देवी जिसे हम माँ, बहन, बेटी, पत्नी के रूप में देखते है. जब यह नीव कमजोर होती है तब परिवार बिखरता है. परिवार में पता है पहला अक्षर "प" ही क्यों है क्योकि जगत जन्ननी देवी माँ का नाम पार्वती है, जो अपने पूर्ण शिव परिवार की देखभाल करती है. वैसे ही जब एक देवी अपने परिवार को अपना समझकर उसका ध्यान रखती है तब परिवार एकजुट रहता है.
परिवार क्यों बिखर जाता है ?
जब माँ बाप अपने बच्चे की शादी करते है तब जो नयी दुल्हन घर में आती है तब वह उस परिवार को अपना नहीं समझ पाती, वह सिर्फ समझती है की मेरा पति ही बस मेरा है बाकि कोई नहीं, तब परिवार अलग हो जाता है. इसमे सिर्फ उस लड़की की गलती नहीं होती, कभी कभी जो उसके सास ससुर होते है वे उसे नहीं समझ पाते. देखो आज के मॉडर्न ज़माने में सारी लडकीयाँ सिर्फ घर का काम संभाले जरुरी नहीं. आज की नारी शक्ति देश को सम्भालनेकी की शक्ति रखती है और संभाल भी रही है. आज क्या हो गया है न की हम सोचते है की जो हमारी बेटी, बहु, पत्नी है, वह सिर्फ घर का काम करे, बहार न जाये यही सोच परिवार को अलग कर देती है. लेकिन आज की बेटिया पढ़ी लिखी है, समझदार है वो सोचती है की में भी अपने परिवार की आर्थिक सहायता करू जिससे पुरे परिवार का जीवन बेहतर हो सके, इस सोच में गलत ही क्या है, कुछ नहीं ?, लेकिन जैसा की मैंने पहले कहा की नारी परिवार की नीव है, जब वह यह सोचती है की में सिर्फ काम करुँगी परिवार पर ध्यान नहीं दे सकती तब परिवार अलग हो जाता है.








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