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जय श्री राम

रा = राधा + माँ = माधव

 || जय श्री राधा ||

भगवान् है या नहीं ?

          

Image by GLady from Pixabay

                                                  

विषय सूचि

0.प्रस्तावना

१.अंत

२.हम किस लिए बने है

३.हमें अपने आप को कैसे समझना है

४.विश्वास जरुरी है

५.हमारा शरीर


0. प्रस्तावना

इस किताब को लिखने का उद्देश्य यह है की भगवान क्या है किसलिए है या नहीं है ? सालों से यही सवाल बार बार सुनने को मिलता है, कहा है भगवान् ? जब यह दुनिया बनी थी या बनाई गयी थी तो क्या हम वहा थे ,नहीं हमें नहीं पता की दुनिया कैसे बनी ,हम इस दुनिया में क्या कर रहे है, क्यों हम सुबह उठते है, खाना खाते है , काम करते है और रात को सो जाते है, दुसरे दिन फिरसे वही जीवन क्यों ? हमारे मन में इसी तरह के लाखो सवाल है, इन्ही सवालों का जवाब आपको इस इ-बुक में मिलेगा.


चलिए शुरू करते है

एक अनोखा सफ़र


१.अंत

जब किसी चीज या वस्तुका अंत होता है तो उसके द्वारा नयी वास्तुका निर्माण भी होता है. यह हम अच्छी तरह जानते है ,जैसे की एक पेड़ कटता है तो उसका अंत होता है. लेकिन उसके द्वारा बनाया गया फर्नीचर ,पेपर या उसके दिए गए फल द्वारा एक पौधे का निर्माण होता है, इसमें एक समझने वाली बात यह है की फुर्निचर अपने आप नहीं बना ,नहीं पेपर अपने आप बना ,ऐसा हो सकता है की वृक्ष का फल निचे गिरा और दुसरे पौधे को जन्म दिया .लेकिन जिस तरह से इस ब्रम्हांड को बनाया गया, तो ऐसा नहीं हो सकता की किसीने इसे बनाया न हो और यह अपने आप बन गया. इस दुनिया में जितनी भी प्राकृतिक चीजे है, उन सबकी एक अलग पहचान है. सारी चीजे अपने आप में एक रहस्य है. जैसे जमीन ,जमीन में आप कोई भी पौधा लगाओ धीरे धीरे वह बड़ा कोने लगता है, कुछ समय बाद वह पौधा फल, फुल देने लगता है. लेकिन ऐसा क्यों होता है ? क्योकि भगवान है. भगवान ने इस दुनिया की रचना ही ऐसे की है की सारी चीजे एक दुसरे के साथ जुडी हुई है. अगर इसमें से एक भी चीज इस दुनिया से ख़त्म हो जाय तो हमें बहोत सारी मुसीबतों का सामना भी करना पड सकता है, यह दुनिया के ख़त्म होने का संकेत भी हो सकता है.

        इसलिए भगवान ने दिन और रात ,सुख और दुःख,अच्छा और बुरा इस तारह के अनेको उदहारण है जिनकी रचना भगवान ने की है और यह दुनिया के अस्तित्व के लिए जरुरी है.अंत एक नयी वस्तुके निर्माण के लिए जरुरी है. भगवान ने हमें बनाया ही इस तरह है की हम ऐसे समय में पैदा होते हे जिस समय को हमारी जरुरत होती है. हम पैदा ही इसलिए होते है की हम दुसरो की मदत कर सके .हमने देखा है हम छाते का भी इस्तेमाल तब करते है जब बारिश हो रही होती है. हमारा जन्म सिर्फ अपने आपको और अपने परिवार को संभालना ही नहीं बल्कि हमारे आस पास जो पर्यावरण है, जो लोग है, जानवर है ,पशु पक्षी है उनकी रक्षा और देखभाल करना भी है. हमारे अन्दर बहोत सारी ऐसी शक्तिया है जिससे हम इस दुनिया को बदल सकते है और इसे बदलनेकी जरुरत है. हम जो कर सकते है वह पशु पक्षी नहीं कर सकते और जो पशु पक्षी कर सकते है वो हम नहीं कर सकते .

        हम सबको मिलकर इस दुनिया को बदलना है हमें एक ऐसी दुनिया बनानी है जिसमे किसीको यह सोचने की जरुरत न पड़े की कल क्या होगा ,कल खाना मिलेगा की नहीं, कल कहा रहेंगे ,और भी बहोत कुछ है. समय जैसे बीतता जा रहा है वैसे प्रदुषण ,आबादी, महगाई बढ़ रही है. अंत की शुरुआत हो गयी है.और इस दुनिया का अंत हो के रहेगा .लेकिन हमें चाहिए कि हम अपने आस पास होने वाले प्रदुषण को रोके और सबसे बड़ी समस्या है बढती हुई आबादी इसे काबू में रखने से हमारी आधे से ज्यादा समस्याय ख़त्म हो जायगी.जितनी कम लोकसंख्या होगी उतना फायदा है. इससे महगाई कम होगी ,कम प्रदुषण होगा और इसके अनेको फायदे है.जिसको हमें समजने की जरुरत है.


२.हम किस लिए बने है

हमारे मन में अक्सर यह सवाल जरुर आता है की हम किस लिए बने है ? क्यों बने ? किसने हमें बनाया ? और हमने जन्म लेकर क्या किया इन्ही सवालों का जवाब आज हमें इस पाठ से मिलने वाला है. चलो शुरू किया जाय. हर किसीका जन्म एक अनोखे कार्य करने के लिए हुआ है. जैसे सूरज ,सूरज का काम है खुद रोशन रहकर दुसरो को रौशनी प्रदान करना. इसी तरह हम इन्सान को भी भगवान ने एक मकसद के साथ भेजा है, लेकिन हम अपने आप को ही इतना भूल गए है की हमें कोनसा कार्य दिया है ,क्या याद रहेगा. भगवान की सबसे बेहतर रचनाओ में से हम इन्सान है. भगवान ने हमें इतना शक्तिशाली और बुद्धिमान बनाया है की आज हमें यह सोचने की जरुरत नहीं पड़ती की हम क्या क्या कर सकते है. हमें करना क्या है ,इसमें इतना सोचने वाली बात कोई नहीं है. हमें सिर्फ एक ही काम करना है और वह है खुद बेहतर बनना और दुसरो को बेहतर बनने में उनकी मदत करना, यह काम इतना आसन भी नहीं और हम न कर सके इतना मुश्किल भी नहीं. एक मूर्ति अपने आप नहीं बनती , उसे बनने में मिटटी, पानी, एक मूर्तिकार और जरुरी अवजारो की जरुरत पड़ती है. ठीक उसी तरह हम भी अपने आप नहीं बनते , हमें सफल बनाने में हमारे मा-बाप , हमारे गुरु , मित्र और भी लोग हमारी हर कदम मदत करते है . हम एक ऐसे समाज में जी रहे है जिसमे हमें कोई भी कार्य करने से पहले कुछ मिले न मिले लेकिन सलाह जरुर मिलतीं है . सलाह भी हमें दो तरह के आदमी बताते है पहला आदमी वह होता है जो उस काम को करके असफल हुआ हो और दूसरा इन्सान वह होता है जो उस काम में माहिर हो और उसे वह काम करना पसंद हो. इसमें दोनों ही इन्सान महत्वपूर्ण है, वो कैसे ? चलिए जानते है. 

        पहला इन्सान जो असफल हुआ वः हमें सिखाता है की हमें क्या नहीं करना और दूसरा यह बताता है की क्या करने से हम सफल होंगे. यहाँ दोनों ही जरुरी है. भगवान् ही एक ऐसी शक्ति है जो देने का काम करती है .जब हमें किसी की जरुरत पड़ती है तब हम उसे याद करते है, और ऐसा अक्सर होता है की, जिसे हम याद करते है अचानक उनसे हमारी मुलाकात हो जाती है या उससे बात हो जाती है. लेकिन ऐसा क्यों होता है क्योकि हम एक ऐसे हॉटस्पॉट से जुड़े हुए है जिसका सिर्फ एक ही पासवर्ड है और वह है “दिल से चाहत” और उस हॉटस्पॉट का नाम भगवान् है. इस हॉटस्पॉट में एक खास बात है और वह है आप इसे कही पर भी इस्तेमाल कर सकते है और न इसके लिए पैसो की भी जरुरत नहीं पड़ती है. हमारा जन्म सिर्फ आबादी बढाने के लिए नहीं हुआ बल्कि हमें खुद समझना चाहिए की जो चीज जितनी ज्यादा मात्र में होती है उसी चीज की कीमत उतनी ही कम हो जाती है. और हम इन्सान यही भूल कर रहे है. हमने आबादी इतनी बढ़ा दी है की कुछ समय में चिडिया घर में जानवरों की जगह इन्सान नोकरी करते दिख जायेंगे. और उस समय कोई जॉब भी बहोत मुश्किल से मिगेली और सैलरी भी इतनी कम मिलेगी की दो वक्त का खाना भी मुश्किल से मिल पायेगा. भगवान् द्वारा या भगवान् ने हमें बनाया इसमें कोई शक नहीं .भगवान् हर जगह है. हमारे अन्दर भी बस हमें पहचानने की जरुरत है. जिस दिन हम अपने अन्दर के भगवान् को पहचान जायेंगे उस दिन से हमारी जिंदगी बदल जाएगी .हम भगवान् द्वारा इसलिए बनाये गए ताकि हम यह देख पाए की क्या देखने योग्य है, आज कल हम सब उल्टा काम कर रहे है.जो नहीं सुनना वह सुनेगे ,जो नहीं देखना वही देखेंगे और जो काम नहीं करना है उसे ही हम करते जा रहे है. हमें इन सब विचारों को अलग रखकर अपने आप को देखना चाहिए, सुनना चाहिए और खुदको अपने अन्दर महसूस करना चाहिए. जब आप यह सब कम करेंगे तो आप जान पाओगे की हम किस लिए बने है. 


३.हमें अपने आप को कैसे समझना है

ध्यान, ध्यान द्वारा हमें अपने बारे में पता चलेगा जैसे किसीको या किसीके बारे में जानना होता है, तो हम उसे जानने के लिए इन्टरनेट की सहायता लेते है और हमारे शरीर के अन्दर भी एक इन्टरनेट है .बस हमें उसके लिए एक रिचार्ज की जरुरत है ,चलिए जानते है इस बॉडी रिचार्ज के बारे में .....

        ध्यान, ध्यान एक रिचार्ज है .जिसके लिए आपको कोई पैसे देने की जरुरत नहीं ,बल्कि पैसो से ज्यादा कीमती अपना समय देने की जरुरत है. आप जितना ज्यादा समय देंगे उतना ही हम अपने बारे में जानते जायेंगे. मैंने ध्यान को कैसे जाना ? चलिए जानते है. शुरू शुरू में यह एक बड़ा सा एवेरेस्ट पर्वत उठाने के बराबर लगता है ,लेकिन जैसे जैसे आप इसके अन्दर जाते है, आपके लिए समय जैसे से रुक गया हो, ऐसा लगने लगता है. मैंने यह खुद महसूस किया है. ध्यान के बारे में आप इन्टरनेट द्वारा जान सकते है. फिर भी में आपको एक बार बताना चाहूँगा. जैसा की हमने ध्यान के बारे में सुना है, सबसे पहले एक शांत जगह का चयन करे जहा आपको कोई दुविधा न हो. यह होने के बाद एक आसन ले जिसपर आप सही से बैठ पाए .उसके बाद उस पर बैठ कर अपनी आँखे बंद कर ले और अपनी साँस पर ध्यान केन्द्रित करे, इस तरह से आप ध्यान कर सकते है. शुरू शुरू में यह आपको थोडा मुश्किल लग सकता है लेकिन जैसे जैसे आप करते जायेंगे वैसे वैसे आप अपने अन्दर से बहोत खुश महसूस करने लगेंगे. ध्यान करने का एक और सरल तरीका है. मौन रहना ,हा आपने सही पढ़ा मौन रहना अन्दर से और बाहर से. देखिये हम पुरे दिन मौन नहीं रह सकते लेकिन दिन भर में ऐसा भी समय आता है जब आप अकेले होते हो, और जो बिन जरुरी हो उसके बारे में सोचते रहते हो एक तरह से आप अपने आप से बात करते रहते हो. बस उस समय को भी अगर हम मौन में बदल दे तो यह हमारे लिए ध्यान जैसा ही काम करेगा. इन तरीको के द्वारा हम ध्यान कर सकते है. ध्यान करने से आप इस दुनिया के बहोत से रहस्यों के बारे में जान सकते है .ध्यान में इतनी शक्ति है जो आपके आने वाले पुरे जीवन को बदल सकती है .वैसे तो ध्यान के अनेको फायदे है जिसे हम जानते है लेकिन कभी महसूस नहीं कर पाते क्योकि हमने कभी ध्यान किया ही नहीं रहता .तो चलिए कुछ पलों से ही ध्यान की शुरुआत करे और अपने जीवन को आनंदपूर्ण बनाये.


४.विश्वास जरुरी है

दोस्तों पूरी दुनिया विश्वास पर जी रही है. हमें भी विश्वास रखना है अपने आप पर ,अपने भगवान् पर. यहा एक चीज तय है अगर भगवान् होते ही नहीं तो भगवान् नाम आया कहासे ? चलो समझते है भगवान् का अर्थ क्या है. भगवान् दो शब्दों से बना है ,उसमे से पहला शब्द है भग यानि सृष्टि और वान यानि स्वामी अर्थात सृष्टि का स्वामी. कुछ चीजे ऐसी होती है जिनके साथ विश्वास शब्द जुड़ जाने से उनकी महानता बढ़ जाती है. हम मंदिरों में देखते है, लोग भगवान् की पूजा करते है एक मूर्ति के रूप में, हमें नहीं पता की उस मूर्ति के अन्दर भगवान् है या नहीं. लेकिन हम अगर उस पत्थर से या अन्य किसी वस्तु से बने भगवान् पर विश्वास करने लग जाय तो भगवान् हमारी बाते सुनते है. हमारे और भगवान् के बिच का जो सम्बन्ध है वो है विश्वास. विश्वास  वह पुल है या रास्ता है जिससे भगवान् तक पहुंचा जा सकता है. विश्वास को दो भागों में बताया जाय तो जो पहला वि है यानि विनम्रता,विशाल,विशेष ,विवेकशील और इसके अलावा वि से अनेक अर्थ निकलते है. दूसरा है श्वास जो हम हर समय लेते है, जिसके बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते इसके लिए विश्वास जरुरी है. 

        दोस्तों विश्वास एक भगवान् द्वारा दी गई ऐसी शक्ति है जिससे इन्सान आज इतना आगे बढ़ गया है. अगर दुनिया से विश्वास ख़त्म हो जाय तो ऐसे समझना हम बिना सिमकार्ड से किसीको कॉल लगाने का प्रयास कर रहे है, जो की असंभव है. यह सिर्फ एक उदाहरन है. आने वाले भविष्य में यह संभव हो सकता है की हम बिना सिमकार्ड के किसीको कॉल लगाये. लेकिन यह असंभव है की हम बिना विश्वास के आगे भविष्य में कुछ कर पाय, इसीलिए विश्वास जरुरी है. आज कल हर कोई किसी पर संदेह करता है, यहाँ तक की खुद पर भी. आज हम अपने आप पर से ही विश्वास खोते जा रहे है तो दुसरो पर क्या विश्वास कर पाएंगे. वैसे तो जो इन्सान खुद पर शक करता हो उसके लिए किसीभी काम में सफलता मिलना मुश्किल हो जाता है और जो इन्सान कोई काम कितना भी कठिन क्यों न हो फिर भी अपने काम और अपने पर विश्वास रखता हो उसकी सफलता तय है. विश्वास से भरे आदमी को सफलता पाने से कोई नहीं रोक सकता.

 

धन्यवाद आपने यह पाठ इतने ध्यान से पढ़ा, इससे आपको यह तो समझने आ ही गया होगा की पूरी दुनिया का जो धरातल यानि आधार (BASE) एक विश्वास है तो आप अपने आप पर विश्वास जरुर रखे.आपका फिरसे धन्यवाद.


५.हमारा शरीर

शरीर इसके बारे में जो व्यक्ति या इन्सान जान लेता है उसे और कुछ जानना शेष नहीं रहता. बॉडी यानि शारीर, हम यह तो जानते है की हमारे पास दो हाथ, दो कान, एक मुह, दो पैर, दो मल मार्ग और इस तरह के अनेक भाग है लेकिन हमारे शरीर में एक ऐसा भाग भी है जिसे कोई नहीं जानता और वह है दिमाग, यार आप लोग यह सोच रहे होंगे की हम तो जानते है, हमारे पास दिमाग है. इन्सान का शरीर पहले जैसा था वैसा ही है आज भी उसे दो हाथ ,दो पैर और बाकि अंग है. देखिये कोई भी पौधा हमें लगाना हो तो हम उसके बिज का या उसके अंश का इस्तेमाल करते है उसी तरह अगर हम अपने शरीर का सहिसे इस्तेमाल करे तो हर एक चीज या हर एक बात हम संभव कर सकते है जिसका होना हमारे लिए जरुरी है. हमें यह अवश्य पता होना चाहिए की हर कुछ जो आज हो रहा है या आगे होने वाला है वह सबकुछ भगवान् जानते है. हमारे दिल में, हमारे शरीर में या कहे पुरे ब्रम्हांड में, ब्रम्हांड के हर एक कण में भगवान् है.


धन्यवाद

|| जय श्री राधा ||

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 || जय श्री राधा ||

Image by shalender kumar from Pixabay

दोस्तों भगवान् कृष्ण को सबसे प्यारी श्री राधा लगती है. श्री राधा के बारे में हम कुछ लिख सके इतनी बुद्धि हमारे पास नहीं है, यह लेख भगवान् कृष्ण ही प्रेरित करते है लिखने के लिए बस वही लिख रहे है. सबसे पहले जानते है श्री राधा कौन है ?

श्री राधा भगवान् कृष्ण का ह्रदय है. जब भगवान् कृष्ण को अपने आप से प्रेम करने की इच्छा हुई तब उनका ह्रदय ही श्री राधा के रूप में प्रकट हो गया. यानि श्रीराधा और कोई नहीं श्रीकृष्ण ही है. श्रीराधा भगवान् तो है ही लेकिन      भगवान् श्रीकृष्ण की सबसे बड़ी भक्त भी है और भक्त ही भगवान् कृष्ण का परम प्रेमी है. 

भगवान् कृष्ण ही अनेक रूपों में प्रकट होते है. वे ही सबकुछ बने हुए है. यह पूरा विश्व भगवान् से प्रकट हुआ है, वे ही इसका पालन करते है और इसका अंत भी भगवान् स्वयं करते है. हम इन्सान भगवान् को भूल गए है इसके लिए हमें भगवान् नहीं दिखाई देते, जिस दिन हमें भगवान् से बढ़कर और कोई अच्छा नहीं लगता तब भगवान् स्वयं हमसे मिलने के लिए आते है. पहले के युगों में भगवान् बड़े कठोर तप से, यज्ञ से प्राप्त होते थे, लेकिन इस कलियुग में भगवान् बड़े आसानीसे मिल सकते है अगर हम भगवान् का नाम जप करे.

हमसे भगवान् का नाम जपना नहीं होता क्योकि हमारे जीवन में गुरु का अभाव है. सबसे पहले भगवान् से जो बहोत प्रेम करता है उनका नाम जपता है उनके ध्यान में रहता है ऐसे भगवद प्रेमी को अपना गुरुदेव बनाये. गुरुदेव जो हमें भगवान् का नाम दे वही नाम जपना चाहिए. उनका दिया हुआ नाम हम लम्बे समय तक जप सकते है. गुरुदेव द्वारा दिए गए नाम में उनकी नाम जपने की शक्ति भी हममे आने लगती है. इसलिए भगवान् को पाने से पहले गुरुदेव को पाईये क्योकि भगवान् का मार्ग गुरुदेव जानते है, उनकी कृपा से ही हम भगवान् को जान सकते है और मिल सकते है.

भगवान् का सबसे प्यारा बनने के लिए सबसे सरल उपाय नाम जप ही है. क्योकि भगवान् और भगवान् के नाम में कोई अन्तर नहीं है. भगवान् से मिलना है तो भगवान् का नाम सदा जपना चाहिए तभी भगवान् हमें मिल सकते है. 

|| जय श्री राधा ||


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