हमें अपने जीवनसाथी के साथ किस तरह रहना चाहिए ? | How should we live with our partner ? | Life Adhyay | Radha Radha
|| राधा राधा ||
हमें अपने जीवनसाथी के साथ किस तरह रहना चाहिए ?
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भगवान् की कृपा से हमें अपना जीवन साथी मिलता है. दोस्तों आज के जीवन में रिश्ता निभा पाना बड़ा मुश्किल हो गया है. एक दुसरे को हम अच्छेसे समझ ही नहीं पाते है. इसी कारण से रिश्तों में दूरियां आ जाती है. इन्ही दुरिओ को मिटाने के लिए यह आज का ब्लॉग प्रस्तुत किया जा रहा है.
5 तरीको से हम अपने रिश्तो को सुधार सकते है. जो निचे दिए गए है.
१. अपने जीवनसाथी से अच्छेसे बात करे.
२. जीवनसाथी के साथ जब आप होते है तब मोबाइल से दूर रहे .
३. भगवान् से खुद जुड़े और अपने पार्टनर के साथ भगवान् सम्बन्धी चर्चा करे .
४. अपने जीवन में सकारात्मकता लाये.
५. भगवान् पर विश्वास रखे.
१. अपने जीवनसाथी से अच्छेसे बात करे.
आज के इस व्यस्ततापूर्ण जीवन में हम अपने जीवन साथी से अच्छेसे बात नहीं कर पाते. इसी कारन से हमारे रिश्तों में कडवाहट आ जाती है और हम एक दुसरे को भला बुरा कहने लग जाते है. दोस्तों हमारे वचनों से हम जो कहते है उससे हमारे जीवन साथी पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है. इसलिए हमें समझदारी पूर्वक एक दुसरे से बात करनी चाहिए तभी हम रिश्तो को निभा सकते है. जिस तरह आग को बुझाने के लिए पानी की जरुरत पड़ती है उसी तरह अगर आपका जीवनसाथी बहोत गुस्से में है या नाराज़ है तो आपको पानी बनकर उसके मन की जलन को शांत करना पड़ेगा.
२. जीवनसाथी के साथ जब आप होते है तब मोबाइल से दूर रहे .
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आज के प्रगतिशील जीवन में मोबाइल होना अति आवश्यक बन गया है. लेकिन उसका बहोत ज्यादा उपयोग हमारे जीवन के लिए हानिकारक बन रहा है. मोबाइल से हमारे शरीर को नुकसान करता ही है और हमें अपने जीवनसाथी से दूर भी करता है. बहोत ज्यादा मोबाइल इस्तेमाल करने से से हमारी सोचने, समझने, बातचीत करने की जो शक्ति है उसमे कमी होने लग जाती है और हमें अपने बर्ताव में चिड चिडाहत महसूस होती है और हमारा मन किसिसेभी बात करने को नहीं करता. इसलिए दोस्तों सबसे पहले हमें मोबाइल का इस्तेमाल करना कम करना है. खास करके जब हम अपने जीवनसाथी के साथ समय बिता रहे हो तो मोबाइल का यूज़ बिलकुल न करे. अगर आप मोबाइल को नहीं छोड़ पा रहे तो इसके लिए भी ब्लॉग लिखा है उसे पढ़कर आप मोबाइल की लत को छोड़ सकते है. |
३. भगवान् से खुद जुड़े और अपने पार्टनर के साथ भगवान् सम्बन्धी चर्चा करे .
दोस्तों हमारे जीवन में भगवान् का होना बहोत जरुरी है. बिना भगवान् के जीवन में सिर्फ दुःख ही दुःख है. आप शांति का अनुभव कर ही नहीं सकते. हमें जीवन में जो भी चाहिए उसे पूर्ण करने वाले सिर्फ भगवान् है. हम हर चीज के लिए भगवान् पर निर्भर है. हमारी जो भी जरूरते जैसे पानी, हवा, रहने के लिए धरती और भी चीजे जो भगवान् ने हमें प्रदान की है उनके बिना जीवन का अस्तित्व ही नहीं है. इसलिए भगवान् का हमें हर दिन नाम लेना चाहिए, उनकी कथा, उनके भक्तो की कथा ,उन्हीके गीत हमें गाने चाहिए. भगवान् का नाम लेनेसे हमारे अन्दर अच्छे विचार आते है, हमारी बुद्धि का विकास होता है. जब हम भगवान् का नाम लेते है तो हमारे अन्दर का कचरा जैसे बुरे विचार, पाप, हिंसा करना, गुस्सा करना, कटु वचन बोलना और भी विकार धीरे धीरे दूर होने लग जाते है. जब हम भगवान् का नाम लेते है तो मन आनंद का अनुभव करता है. जब हम आनंद में रहेंगे तो दूसरों को भी आनंद दे पाएंगे. जब हम और हमारा जीवन साथी दोनों भगवान् से जुड़ जाते है तब मानो भगवान् ही हमारे संबंध को मजबूत बनाते है. हम जब हमारे जीवनसाथी से भागवान सम्बन्धी चर्चा करते है तब दोनों के बिच की जो समज है वह मजबूत होती है. और दोनों आपस में अच्छेसे घुलमिल जाते है.
४. अपने जीवन में सकारात्मकता लाये.
जीवन में सकारात्मकता का होना बहोत जरुरी है, जब हम सकारात्मकता के साथ कोई काम करते है तो वह पूरा हो या न हो वह काम करने में आनद जरुर आता है. हम और हमारे जीवनसाथी में सकारात्मकता होना बहुत जरुरी है. किसी किसी रिश्ते में हम एक दुसरे पर शक करने लगते है. शक करने से हम हमारे ही जीवन में समस्याओ को जन्म दे देते है. फिर रिश्तो को टिका पाना बड़ा चेलेंज हो जाता है. इसलिए जीवन में सकारात्मकता होना बहुत जरुरी है.जीवन में सकरात्मका लाने के लिए हमें जितना ज्यादा हो भगवान् का नाम लेना चाहिए, हमें श्रीमद गीता पढनी चाहिए. गीता में जैसे अर्जुन दुविधाओं में फसा था वैसे ही हमारे जीवन में भी कोई न कोई समस्या जरुर है इन्ही समस्याओं का समाधान है गीता पढना. हम अगर श्रीमद गीता को जीवन में उतारलेंगे तो हम समास्याओं का सामना करने में सक्षम हो जाएंगे. इसलिए हमें श्रीमद गीता जरुर हर दिन जितनी हो सके उतनी पढनी चाहिए. दोस्तों इस तरह हम अपने जीवन में सकारात्मकता ला सकते है.
५. भगवान् पर विश्वास रखे.
पूरी दुनिया में सिर्फ भगवान् है और भगवान् में ही पूरी दुनिया है. भगवान् ही सबके जीवनदाता है और जीवन का अंतिम सत्य, मृत्यु भी भगवान् ही है. हमें अपने जीवनसाथी में भी भगवान् ही देखने है.अगर हम सिर्फ अपने जीवनसाथी में भगवान् न देखकर सिर्फ एक शरीर देखते है तो हमें उसके दूर जाने में बहोत पीड़ा होगी. और इस जीवन में कोई अमर नहीं है. हर किसीको एक न एक दिन जाना ही है.पूज्य गुरूजी श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज कहते भी की हम किसी भी शरीर से प्रेम करते ही नहीं है अगर शरीर से प्रेम करते तो शरीर के मरने के बाद उसे हम जलाते ही नहीं, हम शरीर में बैठे भगवान् से ही प्रेम करते है. इसलिए हमें अपने जीवनसाथी में भगवान् को देखना है. अगर हम भगवान् के भरोसे हो जायेंगे तो हमें कोई चिंता करनी ही नहीं पड़ेगी. हमें और हमारे जीवनसाथी को भगवान् की पूजा, भगवान् का नाम जपना, उनकी कथा , उनका सत्संग सुनना चाहिए. क्योकि भगवान् ही परम सत्य है, भगवान से ही हम है, और हमें भगवान् ने कृपा करके यह मनुष्य देह भगवान् की प्राप्ति के लिए दिया है.इसलिए हमें भगवान् पर विश्वास रखकर जीवन जीना चाहिए.
|| राधा राधा ||
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