क्या हमें अपने कर्मों का फल मिलता है ? | Jai Sree Radha | Life Adhyay
|| राधा राधा ||
कर्म क्या है ?
दोस्तों, हम मन वाणी शरीर से जो कार्य करते है उसी को हम कर्म कह सकते है. मन में कई तरह के विचार आते है या हम अपने बारे में या किसी और के बारे सोचते रहते है. यह जो सोचना है यह भी एक कर्म है .वाणी यानि हमारा बोलना , बातचीत करना भी एक कर्म है. जब हम किसीकी तारीफ करते है तो वह इन्सान खुश होता है, अगर किसीको अपशब्द कहेंगे तो वह रूठ जायेगा या हमसे बातचीत करना बंद कर देगा. इस तरह वाणी से हम कर्म करते है. शरीर से कर्म करना हम सब जानते ही है.अब जानते है की क्या हमें अपने कर्मो का फल मिलता है या नहीं.
क्या हमें अपने कर्मो का फल मिलता है या नहीं ?
जिस तरह बिज बोने के बाद वह पौधे में बदल जाता है , उसकी अच्छे से देखभाल करने बाद जब वह बड़ा हो जाता है तो उसमे फुल लगते है ,फल लगते है उसी तरह जब हम कोई कर्म करते है तो कुछ समय बाद उसका हमें फल मिलता है. कुछ कर्म ऐसे होते है जिनका फल हमें तुरंत मिलता है और कुछ कर्मो को अपना फल देने में कई साल लग जाते है. कोई भी इन्सान बिना कर्म किये रह ही नहीं सकता है. इस दुनिया में ऐसा कोई नहीं है जो कर्म नहीं करता हो. कोई भी काम न करना भी एक कर्म है.
दोस्तों भगवान् कृष्ण ने भी अपनी सुमधुर वाणी से कहा भी है की " तुम कर्म करो फल की चिंता मत करो " यानि जो भी तुम कर्म करोगे तुम्हे उसका फल अवश्य मिल कर ही रहेगा. इस तरह हमने जाना की हम जो भी कर्म करते है उसका फल हमें अवश्य मिलता है.
कौनसा कर्म करने से हम सुखी हो सकते है ?
भगवान् का नामजप करके हम परम सुखी हो सकते है. भगवन का नाम हमें दुःख में भी सुख का अनुभव कराने वाला होता है. आज के जीवन में हर किसीको कोई न कोई चिंता लगी ही रहती है. इसी चिंता को दूर करके आनंद प्रदान करने वाला भगवान् का नाम हमें जपना चाहिए. हमारा जिस भी भगवान् पर अटूट विश्वास और प्रेम हो उन भगवान् का नाम जपना हमारे लिए सर्वश्रेष्ट हो सकता है. मेरे गुरुदेव श्री ने मुझे राधा नाम दिया है. वैसे भगवान् की बहोत बड़ी कृपा होने से मुझे मेरे गुरुदेव मिले है. उन्ही के आशीर्वाद रूपी राधा नाम ने मेरी चिन्ताओ को मुझसे दूर किया है और मुझे किस राह पर चलना चाहिए उसका उपदेश दे रहे है. हमारे जीवन में गुरुदेव का होना बहोत जरुरी है. और गुरुदेव मिलते है भगवान् की कृपा से. भगवान् की कृपा प्राप्त करने के लिए हमें सब जीवो के प्रति दयाभाव रखना चाहिए और जब भी अवसर मिले तो किसीकी सेवा करनी चाहिए जिसे कोई मदत न कर रहा हो और उसे आपके सहारे की बहोत जरुरत हो. ये वचन भी मेरे गुरुदेव के ही है. यह जो आप ब्लॉग पढ़ रहे है यह भी भगवद रूपी गुरुदेव के ही कृपा से लिखा जा रहा है.
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