क्या गर्मी हमे सूर्य से मिलती है ? जय श्री राधा

by - मई 10, 2025

Jai Shree Radha 

 दोस्तों भगवद गीता के अध्याय 9 के 19 वे श्लोक में भगवान कह रहे है कि में ही ताप प्रदान करता हु, और सूर्य को सुर्यनारायण भी कहते है, यानी सूर्य और कोई नहीं भगवान कृष्ण ही है, वे ही अमर है और हमारे जीवन की मृत्यु रूप में भी वही आते है, वे ही आत्मा है और शरीर भी वही है, बस फर्क इतना है कि शरीर जन्म लेता है इसलिए उसकी मृत्यु निश्चित है और आत्मा अमर है इसलिए उसे कोई मार नहीं सकता।
दोस्तो हम किसी जगह घूमने या किसी काम से जाते है तो उसकी हम पूरी तैयारी करते है, वहां कितने पैसे लगेंगे, क्या पहनेंगे, क्या क्या खायेंगे इस तरह की अनेकों तैयारियां हम करते है, लेकिन जब अंत में भगवान के पास जाना है तब उसकी तैयारी भी हमे करनी चाहिए।
मन में सवाल आता है कि भगवान के पास जाने के लिए क्या करना पड़ेगा
देखो दोस्तो भगवान हमारा दो तरह से वेलकम करते है
अगर हमने अच्छे कर्म किए तो वे कृष्ण बनकर मिलेंगे और हमसे प्रेम करेंगे
और बुरे कर्म किए तो कृष्ण ही यमराज बनकर हमें हमारे बुरे कर्म की सजा भुगतवाकर निष्पाप करके पुनः हमे मौका देते है, लेकिन हमे मनुष्य शरीर मिले यह जरूरी नहीं, मनुष्य शरीर कई योनियों में से गुजरने के बाद मिलेगा।
इसलिए यह मनुष्य शरीर की बहुत अहमियत है, हम जो भी कर रहे है उसे करते करते अगर भगवान को याद कर लिया तो सहज ही भगवान हमे मिल सकते है।
दोस्तो भगवान की और कदम बढ़ाना है तो दिन में कम से कम एक बार महामंत्र गाना चाहिए, जो इस तरह है......
"हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे"
यह मंत्र भजन की तरफ इक नींव बनता है,
इस मंत्र को हर दिन गाना चाहिए।
जय श्री राधा 

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