मेरे प्यारे गुरूजी | जय श्री राधा
दोस्तों जीवन में गुरुका होना उतना ही जरुरी है जितना इन्सान के लिए साँस लेना. बिना ओक्सिजन के जैसे हमारा शरीर नहीं रह सकता वैसे ही हमारे मन में भगवान् बसे होते है उन्हें जानने के लिए गुरु का होना जरुरी है. मैंने तो मेरे गुरु को पहचान लिया वो है शिव पार्वती जो हमारे माता पिता के दिल में बसे होते है. शरीर को छोड़ा जा सकता है लेकिन परमात्मा को नहीं। गुरु की कृपा से जब कुछ दिनों का वृन्दावन वास मिला तब पता चला की गुरु बिना भगवान् के नहीं रहते, हर जगह बस राधा राधा राधा राधा .....सिर्फ राधा का नाम सुनने को मिलता है क्योकि राधा प्रेम का स्वरुप है जो कृष्ण से प्रेम करे वही श्री राधा है बाकि सब माया है. इस माया मोह से निकालने वाली सिर्फ श्री राधा है. भगवान का जब मन किया की में अपने आप से प्रेम करू तो उनका मन ही श्रीराधा के रूप में प्रकट हो गया. में कोई ज्ञानी नहीं हु मेरे गुरु मेरे मन में बसे है वही सब कुछ करने वाले है हम तो बस उनके गोद में बैठे है. वे जैसा चाहे वैसा कराये. गुरु की कृपा से पता चला की कृष्ण भगवान् के एक एक रोम में अनंत ब्रम्हांड बसते है, तो उनमें ही हम है. हमारे ह्रदय में भी भगवान् बसे है क्योकि जब यह दिल धड़कना बंद करता है तब इस शरीर की कोई अहमियत नहीं रहती इसे जला दिया जाता है या दफना दिया जाता है. इसलिए अपने गुरु से प्रेम करे वे हमें सबके गुरु श्रीराधाकृष्ण के पास पहुंचा देते है. इस बात की सच्चाई श्रीमद भागवत महापुराण में लिखी है उसमे भगवान् श्री कृष्ण कहते है की सच्चा गुरु मेरा ही स्वरुप है इसलिए गुरु ही श्रीराधाकृष्ण है.
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