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जय श्री राम

रा = राधा + माँ = माधव

प्रेम क्या है ?


जिस रिश्तें में एक दूसरे से किसी प्रकार की चाह न हो, वही प्रेम है। जिस व्यक्ति से हम किसी भी प्रकार की अभिलाषा करते है या उनसे कुछ चाहते है मतलब हम उस इंसान से प्रेम नहीं करते, हम सिर्फ हमारे स्वार्थ की पूर्ति कर रहे है ऐसा समझना चाहिए। प्रेम तो स्वार्थ रहित होता। प्रेम तो सिर्फ भगवान से किया जा सकता है अगर हम किसी इंसान में भगवान देख पाए तो उस इंसान से भी हमें प्रेम हो जायेगा। भगवान ही हमें इस दुनिया में लाने वाले है हमारा पालन पोषण करने वाले है। हम हमेशा किसी इंसान के साथ हमेशा नहीं रह सकते लेकिन अगर हम भगवान् से प्रेम करते है उन्हें याद करते है तो वे हमारे साथ हमेशा रहते है चाहे हम किसीभी परिस्थिति में क्यों न हो। भगवान हर रूप में हमारे साथ ही रहते है ,लेकिन हर कोई उन्हें आसानीसे पहचान नहीं पाते। वे ही हमारे माता पिता है ,भाई बहन ,दोस्त और दुश्मन बनकर भी हमें मजबूत बनाने वाले भी वही है। बस हमारे अंदर हर किसी को भगवद रूप देखने की इच्छा होनी चाहिए। प्रेम ही भगवान् और भगवान् ही प्रेम है प्रेम को इंग्लिश में लिखे PREM मतलब P का परमात्मा , R का राम , E का इष्ट, M का माँ ,भगवान् ही परमात्मा है वे ही राम ,इष्ट और हमारी माँ भी वही है, जो चीज हमें जरुरी है वो प्रदान करने वाले भी वही है। आगे हमारे साथ क्या होने वाला है सब कुछ जानने वाले वही है। इसलिए प्रेम भगवान  से करे क्योकि हर जगह हर कण में वही है। हमारे अंदर हमारे बाहर वही है। हम सब को अलग नजर से देखते है की यह जानवर है ,यह पक्षी है ,यह पत्थर है ,यह पेड़ है ,यह स्त्री है ,यह पुरुष है ,लेकिन सबके अंदर एक ही परमतत्व है ईश्वर। इसलिए ईश्वर से प्रेम करे। भगवान् को ही अपना सहायक बनाये आपको और किसीकी सहायता मांगने की जरुरत नहीं पड़ेगी बल्कि वे खुद आपकी सहायता के लिए आ जायेंगे। जब हमें हर किसीमे भगवान् नजर आने लगेगा तब हमें किसीसे कोई शिकायत नहीं रहेगी ,यह पृथ्वी ही आपके लिए स्वर्ग बन जाएगी। इसलिए भगवान् से प्रेम करे। जब हम किसी इंसान में बिना भगवान् देंखे उन्हें प्रेम करते है तो वे हमसे दूर हो जाते है। इसलिए जिसमे आपको अपने भगवान् न दिखे उनसे प्रेम न करे तो ही अच्छा है, नहीं तो वे ही हमारा दुःख बन जाते है। हमें पीड़ा होती है। इसलिए भगवान् से प्रेम करे। सबमे भगवान् देखने की कोशिश करे तभी सबसे प्यार कर पाएंगे और हम ख़ुशी से अपना जीवन जी पाएंगे। इसलिए भगवान् से प्रेम करे। भगवान् से प्रेम करने के लिए हो सके उतना उनका नाम अपने जीभा पर ले। उनकी कथा सुनिए।उनके बारे में पढ़िए ,उन्हीके गीत गाइये फिर हमें भगवान् से प्रेम करना नहीं पढ़ेगा हो जायेगा। न आप उन्हें भूलेंगे न वे आपको कुछ भूलने देंगे। इसलिए भगवान् से प्रेम करे 

धन्यवाद 
जय श्री कृष्णा









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